आज की बदलती हुई अर्थव्यवस्था में अधिकतर लोग घर, गाड़ी, शिक्षा या कई अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से लोन लेते हैं। इन लोन की मासिक किस्त यानी EMI समय से भरनी होती है। हालाँकि, कई बार आर्थिक संकट या किसी अनहोनी के कारण लोग एक दो किश्तें चुका नहीं पाते। पहले इस स्थिति में बैंक न केवल पेनल्टी वसूलते थे बल्कि फोन कॉल, ईमेल और घर तक आकर कई बार मानसिक दबाव भी बनाते थे, जिससे ग्राहक काफी परेशान हो जाते थे।
इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ग्राहकों के हित में नई गाइडलाइन जारी की है। अब EMI चूकने की स्थिति में बैंक या इनकी एजेंसियां पहले जैसी दादागीरी या मानसिक उत्पीड़न नहीं कर पाएंगी। 20 जुलाई 2025 से लागू इस नई गाइडलाइन ने करोड़ों कर्ज धारकों को बड़ी राहत दी है और बैंकिंग व्यवस्था को भी अधिक जिम्मेदार और पारदर्शी बनाया है।
RBI New EMI Guidelines
RBI की नई गाइडलाइन का सीधा उद्देश्य ग्राहकों को बैंक और रिकवरी एजेंसियों के अनावश्यक दबाव और उत्पीड़न से बचाना है। नए नियम के अनुसार, यदि कोई ग्राहक समय पर EMI नहीं भर पाता है, तो बैंक तुरंत उसे डिफॉल्टर घोषित कर मानसिक दबाव नहीं बना सकता।
पहले 90 दिनों तक किश्त न चुकाने की स्थिति में अकाउंट को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) घोषित कर दिया जाता था। उस दौरान लगातार फोन, नोटिस और कभी-कभी घर आकर भी परेशान किया जाता था। मगर अब, ग्राहकों को अपनी स्थिति स्पष्ट करने और समाधान के लिए संवाद स्थापित करने का मौका मिलेगा।
RBI ने साफ कहा है कि कर्ज वसूली के लिए कोई भी एजेंसी या बैंक ग्राहक को फोन पर धमका नहीं सकती, बार-बार परेशान नहीं कर सकती, और केवल लिखित नोटिस के बाद ही लीगल प्रक्रिया शुरू कर सकती है। पुलिस या कोर्ट की भूमिका भी तभी आ सकती है, जब लिखित शिकायत की कानूनी प्रक्रिया पूरी हो जाए। यानी अब बैंकों को हर कदम पर कानूनी दायरे में रहकर ही काम करना होगा।
नई नीति के तहत, यदि ग्राहक आर्थिक संकट में है, तो बैंक उससे बात करके किस्त के लिए आसान विकल्प या कुछ समय की राहत दे सकता है। साथ ही पेनल्टी या चार्ज को भी पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से वसूला जाएगा, यानी उसे ब्याज दर में छुपाया नहीं जा सकता। सभी पेनल ब्याज और चार्ज अलग से वसूले जाएंगे और ग्राहक को पूरी जानकारी देना अनिवार्य है।
स्कीम का दायरा और ग्राहक को फायदा
यह स्कीम या नियम RBI द्वारा सभी बैंकों, एनबीएफसी और कर्ज देने वाले संस्थानों पर लागू होता है। चाहे होम लोन, पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन या वाहन ऋण हो, सभी के ग्राहकों को इसका लाभ मिलेगा। नए नियम के चलते बैंक अपने रेवेन्यू बढ़ाने के चक्कर में अतिरिक्त या छुपे हुए चार्ज नहीं लगा पाएंगे। इससे ग्राहकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ कम होगा और उन्हें किस्तों की चूक पर छोटा-मोटा राहत या बातचीत का विकल्प मिलेगा।
इसके अलावा, लोन जल्दी चुकाने पर अब कोई अतिरिक्त प्री-पेमेंट चार्ज भी नहीं लगेगा, जिससे ग्राहक अपने कर्ज जल्दी निपटा पाएंगे। छोटे और मध्यम कारोबारी भी इस नियम के दायरे में हैं, जिससे उनका कर्ज सस्ता और सुविधाजनक रहेगा। यदि कोई बैंक या एजेंसी इन नियमों का उल्लंघन करती है, तो ग्राहक RBI के पास शिकायत दर्ज कर सकता है।
गाइडलाइन से आम आदमी को राहत
RBI की इस पहल से आम लोगों को मानसिक शांति मिलेगी क्योंकि अब बैंक उनके घर पर बार-बार दस्तक देकर या फोन पर बार-बार कॉल करके नहीं डरा सकते। अगर आपने genuine वजह से EMI चुकाने में दिक्कत पाई है, तो बैंक से संवाद कर सकते हैं, अपनी आर्थिक स्थिति बताकर किस्त की नई योजना या कुछ अतिरिक्त समय मांग सकते हैं।
बैंक अब बिना पूर्व सूचना के कोर्ट या पुलिस कार्रवाई शुरू नहीं कर सकते। हर मामले में लीगल प्रक्रिया और ग्राहक का पक्ष सुनना जरूरी हो गया है।
निष्कर्ष
RBI की नई EMI गाइडलाइन से लाखों-करोड़ों भारतीय लोन धारकों को बड़ी राहत मिली है। अब ब्याज के अलावा कोई अतिरिक्त अभेद्य चार्ज या मानसिक उत्पीड़न न होगा और उनकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ेगी। अगर कोई परेशानी है, तो उसका समाधान बैंक से बातचीत और कानून के दायरे में ही तलाशा जाएगा, जिससे ग्राहक और बैंकिंग सिस्टम दोनों की विश्वसनीयता भी मजबूत होगी।