Supreme Court: नया निर्देश – संपत्ति मालिकाना हक में सुनहरा बदलाव, सावधान रहें

Published On: July 20, 2025
Supreme Court

अगर आप घर, जमीन या कोई प्रॉपर्टी खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला जानना बहुत जरूरी है। अक्सर लोगो को लगता है कि रजिस्ट्री हो जाने के बाद वे प्रॉपर्टी के असली मालिक बन जाते हैं, लेकिन अब यह सोच पूरी तरह बदल चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्णय ने प्रॉपर्टी के मालिकाना हक को लेकर साफ और सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

यह फैसला देशभर के करोड़ों लोगों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अब मालिकाना हक पाने के नियम और पेचीदा हो गए हैं। पुराने समय में अक्सर सिर्फ कब्जा लेकर या केवल नाम की रजिस्ट्री करवाकर लोग खुद को मालिक मान लेते थे, जिससे धोखाधड़ी, बेवजह विवाद और कोर्ट के मामले बढ़ गए। अब सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया है कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए पूरी प्रक्रिया का पालन करना होगा।

Supreme Court New Rule

सुप्रीम कोर्ट ने 2025 में हुए एक ऐतिहासिक मामले में कहा है कि किसी भी प्रॉपर्टी का असली मालिक वही होगा, जिसके पास वैध रजिस्ट्री (Registered Sale Deed) के साथ ज़रूरी कानूनी कागजात और वास्तविक कब्जा भी है। सिर्फ रजिस्ट्री या सिर्फ कब्जा, किसी एक के होने से अब मालिकाना हक नहीं मिलेगा। कोर्ट का यह निर्णय ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882 की धारा 54 के अनुसार दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि किसी भी ऐसी संपत्ति, जिसकी कीमत ₹100 या उससे अधिक है, उसका ट्रांसफर सिर्फ पंजीकृत दस्तावेज के जरिये ही वैध माना जाएगा।

यह फैसला महनूर फातिमा इमरान बनाम स्टेट ऑफ तेलंगाना केस में आया। इसमें यह साफ किया गया कि अगर बिना विधिवत रजिस्ट्री के कोई जमीन या मकान किसी दूसरे को दे दिया जाता है, तो वह कानूनी दृष्टि से मालिकाना हक नहीं देता। इसी तरह, सिर्फ रजिस्ट्री करा लेने से ही कोई व्यक्ति मालिक नहीं बन सकता, जब तक उसके पास कब्जा और बाकी मालिकाना दस्तावेज भी न हों।

टाइटल डीड और जरूरी दस्तावेजों की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अब केवल रजिस्ट्री होना पर्याप्त नहीं है। मालिकाना हक साबित करने के लिए टाइटल डीड, म्युटेशन, पॉजेशन लेटर, बिजली-पानी के कनेक्शन, टैक्स रसीद और सारे जरूरी दस्तावेज सही तरीके से पूरी प्रक्रिया में होना जरूरी है। न्यायालय का स्पष्ट कहना है कि खरीदार को यह सभी दस्तावेज प्राप्त करना और उनके कानूनी वैधता की जांच करना जरूरी है।

नए निर्देशों का मकसद साफ है – प्रॉपर्टी धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा कम करना। कई बार ऐसा देखा गया कि किसी जमीन या मकान को कई बार बेचा गया, या विवाद इसलिए बढ़े क्योंकि सिर्फ एक कागज के सहारे कब्ज़ा या मालिकाना हक का दावा हो जाता था। इससे खरीदारों को नुकसान और लंबे कोर्ट केस का सामना करना पड़ता था।

सभी राज्यों की सरकारों और नगर निकायों को भी निर्देश दिए गए हैं कि संपत्ति सौदे की जांच में अब हर बार पूरे दस्तावेज और कब्जा सत्यापन अनिवार्य किया जाए। इससे प्रॉपर्टी के असली मालिक को धोखे और फर्जीवाड़ा से बचाया जाएगा।

यह फैसला सिर्फ खरीदारों के लिए ही नहीं, बल्कि रियल एस्टेट एजेंट्स, डीलर्स और उन सभी लोगों के लिए जरूरी है, जो प्रॉपर्टी के कारोबार में जुड़े हैं। अब उन्हें हर सौदे में दस्तावेजों की वैधता और पूरी ओनरशिप चेन का विश्लेषण करना होगा।

सरकार या योजना से क्या मिलेगा?

यह फैसला किसी खास सरकारी योजना या सब्सिडी पर नहीं, बल्कि कानूनी और प्रक्रियागत स्तर पर लागू किया गया है। इसमें सरकार की जिम्मेदारी यह तय करने की है कि रजिस्ट्री, टाइटल डीड, म्युटेशन और बाकी प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को पारदर्शी, सरल और फास्ट बनाया जाए ताकि खरीदार और विक्रेता दोनों को दस्तावेज जुटाने में कोई दिक्कत न हो।

सरकार का जोर इस बात पर भी है कि डिजिटल प्रॉपर्टी रिकॉर्ड्स, प्रॉपर्टी टैक्स सिस्टम और रियल इस्टेट रेगुलेटर के चलते आम व्यक्ति को अब गलत तरीके से प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने से रोका जा सकेगा। अगर किसी व्यक्ति के पास सभी प्रमाण, कानूनी कब्जा और सम्पत्ति सम्बन्धी रजिस्ट्री मौजूद है तो उसका हक पूरी तरह सुरक्षित रहेगा।

फैसले को लागू करने का तरीका

अगर आप घर, फ्लैट या जमीन खरीदना चाहते हैं तो पुराने सिस्टम की तरह केवल रजिस्ट्री पर भरोसा न करें। रजिस्ट्री के अलावा, आपको इन दस्तावेजों की जांच करनी होगी – पावर ऑफ अटॉर्नी, म्युटेशन, टाइटल डीड, खाली पजेशन लेटर, पुराना टैक्स रिकॉर्ड, बिजली-पानी बिल, पुराना म्युटेशन/खतौनी, एवं प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी विवाद न हो इसकी पुष्टि का प्रमाणपत्र।

सुधार और सुरक्षा की दिशा में यह फैसला नया मुकाम है जिससे भविष्य में प्रॉपर्टी खरीदना-बेचना अधिक सुरक्षित और पारदर्शी हो सकेगा। इस फैसले के बाद खरीददारों और विक्रेताओं दोनों को कानूनी प्रक्रिया का सख्ती से पालन करना अनिवार्य हो गया है।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले ने प्रॉपर्टी से जुड़े हर व्यक्ति के लिए जरूरी सख्ती लागू कर दी है। सिर्फ कागजों का खेल अब नहीं चलेगा, बल्कि कानूनी कब्जा और प्रमाणों की जरूरत होगी। इससे आम लोग अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे और प्रॉपर्टी में धोखाधड़ी के केस भी कम होंगे।

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