CNG Price Hike: 1 नया रेट—अब आपका ऑटो और टैक्सी किराया प्रभावित

Published On: July 25, 2025
Cng price hike

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच सस्ती ईंधन विकल्प के रूप में जानी जाने वाली CNG (कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस) की कीमतों में हाल ही में बढ़ोतरी हुई है। यह खबर उन लोगों के लिए खास चिंता का विषय है जो अपने वाहनों में CNG का उपयोग करते हैं। CNG की बढ़ती कीमतों का असर न केवल आम लोगों की जेब पर पड़ता है, बल्कि टैक्सी, ऑटो रिक्शा और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्र भी इससे प्रभावित होते हैं। इस लेख में हम CNG कीमतों में हुई हालिया बढ़ोतरी, इसके कारण और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर आसान भाषा में चर्चा करेंगे।

CNG की कीमतें अलग-अलग राज्यों और शहरों में थोड़ी भिन्न होती हैं, लेकिन देशभर में इसके दामों में एक सामान्य रुझान देखा जा रहा है। ध्यान देने वाली बात यह है कि CNG की कीमतों में बढ़ोतरी का संबंध सीधे तौर पर प्राकृतिक गैस की कीमतों से होता है, जो कि सरकार द्वारा निर्धारित ‘एडमिनिस्ट्रेटेड प्राइस मेकैनिज्म’ (APM) के तहत आती है। वर्ष 2025 में इस APM गैस की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिसके कारण CNG की कीमतें भी बढ़ाई गई हैं। यही मुख्य वजह है कि CNG के रेट्स में इजाफा हुआ है।

CNG Price Hike

CNG का निर्माण मुख्य रूप से प्राकृतिक गैस से होता है, जिसे ‘एडमिनिस्ट्रेटेड प्राइस मेकैनिज्म’ (APM) के तहत नियंत्रित किया जाता है। APM का मतलब है कि इस गैस की कीमतें सरकार ताक़ीद से नियंत्रित करती है ताकि यह उपभोक्ताओं के लिए ज्यादा महंगी न हो। लेकिन सरकार ने अप्रैल 2025 से इस APM गैस की कीमतों में मानक के अनुसार वृद्धि की है। इस वृद्धि को सरकार ने योजना बद्ध तरीके से लागू किया है ताकि धीरे-धीरे पूरी बाजार प्रणाली में गैस का मूल्य निर्धारण मुक्त हो सके।

सरकार ने अप्रैल 2025 में APM गैस की कीमतों को बढ़ाकर 6.75 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू कर दिया, जो पहले 6.50 डॉलर था। इससे CNG के उत्पादन की लागत बढ़ गई, और इसका असर उपभोक्ताओं को CNG की रूप में दिखा। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में CNG के दाम अब लगभग 76 रुपये प्रति किलो हो गए हैं, जबकि अन्य शहरों में यह कीमतें थोड़ा अलग हैं। उदाहरण के लिए नोएडा और गाजियाबाद में CNG की कीमतें 84 रुपये के आसपास हैं। इस फैसले के पीछे मुख्य वजह घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमतों के अनुसार समायोजित करना है।

सरकार की CNG को लेकर योजनाएं और उनका उद्देश्य

सरकार ने CNG को पर्यावरण के अनुकूल, स्वच्छ और किफायती ईंधन विकल्प के रूप में विकसित करने के लिए कई पहलें शुरू की हैं। इनमें महत्वपूर्ण हैं देशभर में CNG स्टेशन नेटवर्क का विस्तार, जिससे लोगों को आसानी से CNG मिलने लगे। इसके साथ ही, सरकार कई बार CNG वाहनों पर सब्सिडी भी देती है जिससे आम जनता के लिए CNG वाहन खरीदना और उपयोग करना सरल और सस्ता हो।

साथ ही, सरकार ने APM गैस की कीमत वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए प्रवेश की गई गैस की मात्रा में पारदर्शिता रखी है, ताकि अप्रत्याशित कीमतों में उछाल न हो। हालांकि, 2024 के अंत से घरेलू प्राकृतिक गैस की सप्लाई में कटौती की वजह से भी CNG की कीमतों में दबाव आया है। यह कटौती उत्पादन वाली पुरानी गैस फील्ड से हो रही गैस की कमी के कारण है। इस कमी से बाजार में गैस की उपलब्धता कम हो रही है, जिसकी वजह से आपूर्ति और मांग के संतुलन पर प्रभाव पड़ा है।

CNG की बढ़ती कीमत के क्या प्रभाव होंगे?

CNG के दाम बढ़ने से आम लोगों और व्यवसायों पर असर पड़ेगा। खासतौर से वे लोग जो रोजाना अपने वाहनों के लिए CNG का उपयोग करते हैं। सार्वजनिक परिवहन, ऑटो रिक्शा, टैक्सी, और डिलीवरी सेवाओं की लागत बढ़ सकती है, जो अपनी सेवाओं के दाम बढ़ा सकते हैं। इससे महंगाई का दबाव बढ़ सकता है खासतौर से उन जगहों पर जहां CNG अधिकतर ईंधन है।

फिर भी, CNG का विकल्प पेट्रोल और डीजल की तुलना में सस्ता और पर्यावरणीय दृष्टि से बेहतर माना जाता है। सरकार ने CNG के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कई सुविधाएं दी हैं, जिससे भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा के विकल्प तलाशने में मदद मिलेगी। बढ़ती कीमतों के बावजूद CNG एक किफायती विकल्प के रूप में बना रहेगा, क्योंकि पेट्रोल-डीजल की कीमतें इससे कहीं अधिक होती हैं।

क्या सरकार ने उपभोक्ताओं के लिए कोई राहत योजना बनाई है?

CNG की कीमत बढ़ने के बावजूद सरकार ने कुछ राहत देने के उपाय किए हैं। उदाहरण के लिए, घरेलू रसोई गैस (LPG) की कीमतों को स्थिर रखने के लिए सहायता दी जा रही है। वहीं, एक्साइस ड्यूटी और टैक्स में कटौती की संभावनाएं भी चर्चा में हैं ताकि CNG की बढ़ी कीमतों का असर कम किया जा सके। इसके अलावा, सरकार और कंपनियां CNG स्टेशन नेटवर्क को बढ़ाकर बढ़ती मांग को पूरा करने की कोशिश कर रही हैं।

सारांश रूप में, CNG कीमत बढ़ोतरी का कारण मुख्य रूप से सरकार द्वारा नियंत्रित APM गैस की कीमतों में वृद्धि है, साथ ही गैस की सप्लाई में कटौती ने भी इस बढ़ोतरी को प्रभावित किया है। हालांकि यह बढ़ोतरी कुछ हद तक आम जनता के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन सरकार की योजनाएं और नीतियां इसे संतुलित करने की कोशिश कर रही हैं।

CNG की बढ़ी हुई कीमतें आम लोगों और व्यवसायों के लिए चिंता का विषय हैं, लेकिन यह कदम प्राकृतिक गैस की लागत में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने उठाया है। भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा के विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए CNG पर सरकार का जोर बना रहेगा।

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