भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में लोन से जुड़े कई नियमों में बदलाव किए हैं, जिससे आम लोगों के लिए लोन की प्रक्रिया आसान और पारदर्शी हो गई है। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य कर्ज लेने वाले उपभोक्ताओं की सुरक्षा बढ़ाना, लोन प्रक्रिया को डिजिटल और त्वरित बनाना और बैंकों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना है। अब लोन के लिए आवेदन करने से लेकर लोन के अप्रूवल और डाटा अपडेट तक हर कदम में पारदर्शिता आई है, जिससे उपभोक्ताओं को किसी भी तरह की धोखाधड़ी और जटिलता का सामना नहीं करना पड़ेगा।
RBI के नए नियम खासकर उन लोगों के लिए राहत लेकर आए हैं जो जल्दी और सहज तरीके से लोन पाना चाहते हैं। साथ ही, मल्टीपल लोन लेने के चलन पर रोक लगाने के लिए विशेष निर्देश दिए गए हैं ताकि व्यक्ति आर्थिक जोखिम में ना फंसे। डिजिटल लेंडिंग, प्री-पेमेंट चार्जेस और क्रेडिट रिपोर्टिंग जैसे क्षेत्रों में आए बदलावों के कारण अब लोन सेक्टर पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित और उपभोक्ता-हितैषी हो गया है।
RBI Circular: New Update
लोन से जुड़े नियमों को आसान और बेहतर बनाने के लिए RBI ने “प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग” (Priority Sector Lending) और डिजिटल लेंडिंग संबंधी दिशा-निर्देश (Digital Lending Guidelines) लागू किए हैं। प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के तहत किसानों, छोटे व्यापारियों, MSME और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को लोन आसानी से मिल सके, इसके लिए बैंकों को स्पष्ट लक्ष्य और श्रेणियां निर्धारित की गई हैं।
इस स्कीम के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों को विभिन्न सैक्टरों जैसे कृषि, शिक्षा, हाउसिंग, MSME, नवीनीकरणीय ऊर्जा वगैरह में निश्चित प्रतिशत तक लोन देना अनिवार्य कर दिया गया है। किसानों के लिए खरीफ, रबी, मशीनरी, सोलर पंप, खेती से जुड़ी अन्य जरूरतों के लिए भी लोन सुविधा पहले से ज्यादा सरल की गई है। इस दिशा में खास तौर पर Kisan Credit Card (KCC) और सहकारी समितियों-पेपर्स के लिए लोन में छूट और त्वरित अप्रूवल की व्यवस्था की गई है।
डिजिटल लेंडिंग दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब बैंक और NBFC अपने कस्टमर का डाटा, लोन का अपडेशन, और शिकायत निवारण प्रकिया को ऑनलाइन और ट्रैक योग्य बनाएंगे। ग्राहकों को अब पूरी जानकारी रिपोर्टिंग एजेंसियों को 15 दिन के भीतर उपलब्ध करानी होगी, जिससे बैंकों के सिस्टम में तुरंत सभी जरूरी जानकारी अपडेट हो जाएगी और किसी को भी बार-बार अलग-अलग बैंकों से लोन लेना उनपर रोक लगाई जा सकेगी। पहले यह डाटा 30 दिनों में अपडेट होता था, अब यह समय घटाकर 15 दिन कर दिया गया है। इससे ईएमआई बकाया, नए लोन और डिफॉल्ट की असली स्थिति बैंकों को जल्द पता चल सकेगी।
ULI सिस्टम: लोन के लिए आसान और डिजिटल रास्ता
RBI और सरकार अब यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (ULI) नाम की डिजिटल प्रणाली पर काम कर रहे हैं, जिससे लोन आवेदन बहुत ही आसान हो जाएगा। जैसे UPI के आने के बाद डिजिटल पेमेंट आसान हुआ, वैसे ही ULI से लोन की प्रक्रिया पारदर्शी और सेकंडों में संभव हो सकेगी। ULI के तहत सभी जरूरी डाटा जैसे लैंड रिकॉर्ड, क्रेडिट हिस्ट्री और बैंक के अन्य डॉक्यूमेंट एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे, जिससे बैंकों को ग्राहक की साख का मूल्यांकन फटाफट हो सकेगा और अप्रूवल में देरी नहीं होगी। इसका मुख्य लाभ छोटे किसानों, MSME और ग्रामीण इलाकों के लोगों को मिलेगा6।
लोन पर प्री-पेमेंट चार्ज में राहत
RBI ने जुलाई 2025 में एक और अहम बदलाव किया है। अब ज्यादातर लोन – खासतौर पर फिक्स्ड या फ्लोटिंग रेट वाले पर्सनल, होम या MSME लोन – को अगर समय से पहले चुका दिया जाए तो बैंकों या वित्तीय संस्थाओं को कोई “प्री-पेमेंट चार्ज” नहीं लगाना होगा। यह नियम नए साल यानी 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। इस बदलाव से ग्राहकों को अपनी वित्तीय योजनाओं में लचीलापन मिलेगा और वे कम ब्याज दर पहचान पर किसी अन्य बैंक से ट्रांसफर भी कर सकेंगे।
लोन आवेदन की नई प्रक्रिया
- अपनी आधार, पैन, आय और बैंक संबंधी जानकारी ऑनलाइन अथवा बैंक शाखा में जमा करें।
- बैंक/फाइनेंस कंपनी 15 दिन में आपकी क्रेडिट जानकारी अपडेट करेगी।
- सभी जरूरी दस्तावेजों के सत्यापन के बाद प्रोसेसिंग होगी और लोन अप्रूवल मिलेगा।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘ULI’ के माध्यम से भविष्य में कुछ ही मिनटों में लोन अप्रूवल की सुविधा दी जाएगी।
- जल्दी लोन चुकाने या ट्रांसफर करने पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा (1 जनवरी 2026 से)।
निष्कर्ष
RBI के नए दिशा-निर्देशों ने लोन सिस्टम को पारदर्शी, सुरक्षित और ऑनलाइन बना दिया है। इससे आम आदमी, किसान, व्यापारी और MSME सेक्टर के लिए लोन पाना पहले से ज्यादा आसान हो गया है। अब डाटा अपडेटिंग तेज हुई है, मल्टीपल लोन की गड़बड़ी बंद होगी और प्री-पेमेंट चार्ज न लगने से ग्राहकों को राहत मिलेगी। कुल मिलाकर, RBI के ये बदलाव ग्राहकों और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए लाभकारी हैं।